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स्मृति ईरानी का जीवन परिचय विवाद | Smriti Irani biography

स्मृति ईरानी का जीवन परिचय व विवाद  (Smriti Irani biography and controversies in hindi)

स्मृति ईरानी का नाम भारतीय राजनीति में जाना माना नाम है और इस समय उन्हें भारतीय जनता पार्टी की ओर से सूचना और प्रसारण मंत्री बनाया गया है. स्मृति ईरानी का नाम उन राजनेताओं में शामिल है, जो कि बिना किसी के डर से अपनी बात मीडिया के सामने रखते हैं. वहीं ज्यादातर लोगों को ये भी पता है कि स्मृति ईरानी राजनीति में आने से पहले टीवी जगत में बतौर अभिनेत्री भी कार्य कर चुकी हैं. आखिर कैसे स्मृति ईरानी ने टीवी जगत की दुनिया से राजनीति का अपना ये सफर शुरू किया और कौन-कौन है स्मृति ईरानी के परिवार में इसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.  

Table of Contents

स्मृति ईरानी का जीवन परिचय [Smriti Irani biography]

नाम स्मृति ईरानी
जन्म23 मार्च 1977
मांशिबानी
पिताअजय कुमार मल्होत्रा

भाई बहन

2 बहनें

पति

जुबिन ईरानी

बच्चे

2
राजनीति की शुरुआत2003
व्यवसायराजनीतिज्ञ, अभिनेत्री
पार्टीबीजेपी
पदभारतीय सूचना और प्रसारण मंत्री

स्मृति ईरानी का जन्म (Smriti Irani Birth)

23 मार्च 1977 को जन्मी स्मृति ईरानी का ताल्लुक एक पंजाबी परिवार से है. इनके पिता अजय कुमार मल्होत्रा का जहां एक पंजाबी परिवार से ताल्लुक था. वहीं इनकी मां शिबानी एक बंगाली परिवार से आती थी. स्मृति ईरानी तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं.

स्मृति ईरानी की शिक्षा (Smriti Irani Education)

दिल्ली में जन्मी स्मृति ईरानी ने नई दिल्ली में हॉली चाइल्ड औक्सिलियम स्कूल से अपनी 12वीं कक्षा की पढ़ाई की हुई है. जबकि उन्होंने अपनी डिग्री दिल्ली विश्वविद्यालय से हासिल की हुई है.

स्मृति ईरानी का परिवार (Family Information)

स्मृति ने 2001 में अपने बचपन के दोस्त जुबिन ईरानी से विवाह किया था. जुबिन ईरानी एक व्यापारी हैं और स्मृति के साथ उनकी ये दूसरी शादी है. वहीं इस शादी से इन दोनों के दो बच्चे हैं, एक लड़का और एक लड़की. लड़के का नाम जोहर है जबकि लड़की का नाम ज़ोईश है.

स्मृति ईरानी का बतौर अभिनेत्री करियर (Career as actresses)

स्मृति ईरानी अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिल्ली शहर को छोड़ मुंबई शहर में 1990 के दशक में आ गई. मुंबई में स्मृति ईरानी ने 1998 में फेमिना मिस इंडिया सुंदरता प्रतियोगिता में भाग लिया. हालांकि वो इस प्रतियोगिता को जीत नहीं पाई, मगर उन्होंने शीर्ष फाइनलिस्ट में अपनी जगह बना ली. स्मृति ईरानी गायक मिका सिंह के साथ एक गाने में भी नजर आई हैं. लेकिन स्मृति ईरानी को सही पहचान एकता कपूर के द्वारा बनाए गए नाटक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से मिली है. इस नाटक में स्मृति ने तुलसी नाम की महिला का किरदार निभाया था. ये नाटक लोगों द्वारा बेहद ही पसंद किया गया था. ये नाटक 3 जुलाई 2000 से 6 नवंबर 2008 तक चला था.

वहीं ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ नाटक के अलावा स्मृति ईरानी ने ओर भी कई सारे नाटकों में अपना अभिनय दिखाया है. जैसे ‘क्या हादसा क्या हकीकत’, ‘रामायण’, ‘मेरे अपने’ और इत्यादि. इतना ही नहीं उन्होंने बंगाली, हिंदी और तेलुगू भाषा की कुछ फिल्मों में भी काम किया है. स्मृति ने कई सारे रंगमंच (थिएटर) में भी कार्य किया है.

स्मृति ईरानी को मिले पुरस्कार (Awards)

‘‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ सीरियल के लिए स्मृति को कुल नौ पुरस्कार मिल चुके हैं. इतना ही नहीं उनके एक और सीरियल “विरुद्ध” के लिए उन्हें बेस्ट अभिनेत्री का पुरस्कार 2010 में दिया गया था.

स्मृति ईरानी का राजनीति करियर (Political Career)

स्मृति ईरानी ने साल 2003 में अपने राजनीति में कदम रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी को चुनना उचित समझा. कहा जाता है कि स्मृति के दादा आरएसएस (RSS) के सदस्य थे. वहीं 2004 में स्मृति ईरानी को पार्टी द्वारा महाराष्ट्र युवा विंग के उपाध्यक्ष का पद सौंपा गया और यहां से शुरू हुआ स्मृति ईरानी का राजनीति करियर आज एक नए मुकाम पर पहुंच चुका है. अपने इस 19 साल के सफर में स्मृति ईरानी ने पार्टी की तरफ से दी गई कई सारी अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं. इतना ही नहीं साल 2014 में देश में हुए लोकसभा के चुनाव के लिए बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी के उस समय के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के विरुद्ध स्मृति ईरानी को खड़ा किया था. हालांकि इस चुनाव में स्मृति को राहुल गांधी से हार मिली थी. लेकिन बीजेपी को इन चुनाव में मिली जीत के बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्री बना दिया गया.

स्मृति ईरानी से जुड़े विवाद (Smriti Irani controversies in hindi)

स्मृति ईरानी से जुड़े विवादों को सूची काफी लंबी है. स्मृति को अक्सर उनके फैसलों और दिए गए बयानों के चलते कई बार विवादों का सामना करना पड़ा है. वहीं नीचे स्मृति ईरानी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विवादों के बारे में बताया गया है.

मोदी पर किया था हमला – Modi was attacked

साल 2004 में स्मृति ने नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा था, कि उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री का पद को छोड़ देना चाहिए. स्मृति ने गुजरात दंगों को लेकर कहा था कि नरेंद्र मोदी को इस्तीफे दे देना चाहिए. वहीं स्मृति के इस बयान से पार्टी काफी नाराज हुई थी और पार्टी ने स्मृति को अपना बयान वापस लेने को कहा था. जिसके बाद स्मृति ने पार्टी की कार्यवाही से बचने के लिए अपने इस बयान को वापस ले लिया था.

डिग्री को लेकर विवाद (Irani’s degree problem)–

स्मृति ईरानी को सबसे ज्यादा जिस विवाद ने परेशान किया, वो उनकी डिग्री को लेकर था. दरअसल स्मृति ईरानी ने सन् 2004 के लोकसभा चुनावों के लिए भरे गए अपने हलफनामें में अपनी उच्च शिक्षा बी.ए बताई थी, जो कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से की थी. वहीं जब स्मृति द्वारा 2014 के लोकसभा में जो हलफनामा भरा गया था, उस हलफनामें में उन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता बी.कॉम भरी थी. दो नामांकन में बताई गई अलग-अलग शैक्षिक योग्यता के कारण उनको काफी विरोध झेलना पड़ा था और ये मसला कोर्ट तक जा पहुंचा था. जिस समय स्मृति का ये विवाद हुआ था, उस समय उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री का पद संभाला हुआ था.

अध्यक्ष की नियुक्ति पर विवाद – Controversy over the appointment of the chairman

मानव संसाधन विकास मंत्री रहते हुए जिस दूसरे विवाद ने स्मृति को घेरा, वो नागपुर के विश्वेश्वराय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चुने गए अध्यक्ष को लेकर हुआ था. स्मृति पर आरोप लगाए गए था कि उन्होंने इस पद के लिए विश्राम जामदार को इसलिए चुना क्योंकि उनका ताल्लुक आरएसएस से है.

जर्मन और संस्कृत भाषा को लेकर विवाद – Controversy over German and Sanskrit language

बतौर मानव संसाधन विकास मंत्रालय रहते हुए स्मृति ईरानी द्वारा केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ाई जाने वाली जर्मनी भाषा को विषयों से अलग करने के फैसले पर भी काफी विवाद हुआ था. दरअसल स्मृति ने इन स्कूलों को 2014 में आदेश दिया था कि वो अपने स्कूल में जर्मनी भाषा की जगह बच्चों को संस्कृत भाषा पढ़ाएं. इतना ही नहीं इस मसले पर जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने नरेंद्र मोदी से बातचीत भी की थी.

रोहित वेमुला आत्महत्या विवाद – Rohith Vemula suicide controversy

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति पर कई आरोप लगाए गए थे. स्मृति पर आरोप लगाया गया, कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने श्रम मंत्री बांदरू दत्तात्रेय और बीजेपी की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यालय परिषद (एबीवीपी) के द्वारा की गई शिकायत पर हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति को वेमुला सहित दलित छात्रों के खिलाफ कठोर कदम उठाने को कहा था. जिसके कारण इस छात्र ने आत्महत्या कर ली थी.

पार्टी में कई बार बदला गया पद – Changed position in the party several times

2014 में बीजेपी के सत्ता में आते ही स्मृति ईरानी को मोदी की कैबिनेट में जगह दी गई थी. उन्हें पार्टी द्वारा देश का मानव संसाधन विकास मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया था. वहीं कुछ समय के बाद उनसे ये मंत्रालय वापस ले लिया गया था और इसके साथ उनको कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. लेकिन फिर कुछ समय बाद स्मृति ईरानी को देश का सूचना और प्रसारण मंत्रालय सौंपा गया था, जिसकी वो अभी मंत्री हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 (अमेठी लोकसभा क्षेत्र में राहुल गाँधी को हराया – Lok Sabha Elections 2019 (Defeated Rahul Gandhi in Amethi Lok Sabha Constituency

स्मृति ईरानी 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी लोकसभा क्षेत्र से राहुल गाँधी के विरुद्ध खड़ी हुई थी. अमेठी कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, मुख्यरूप से गाँधी परिवार का. स्वतंत्रता के बाद से संजय गाँधी, राजीव गाँधी, सोनिया गाँधी यहाँ से खड़े हुए थे, जिन्होंने हमेशा जीत हासिल की है. इस कांग्रेस के गढ़ में स्मृति ईरानी ने घुस कर राहुल गाँधी को प्रचंड वोट से हराया है. स्मृति ईरानी की ये अब तक की सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है. स्मृति ईरानी 55 हजार से अधिक वोट से जीती है. राहुल लगातार तीन बार से अमेठी से सांसद रहे है, इस तरह से हारना उनकी बड़ी हार माना जा रहा है. स्मृति ईरानी ने अपनी जीत पर ट्वीट करते हुए कहा कि “किसने कहा आसमा में सुराख़ नहीं होता…”  सभों को लगता था कि अमेठी तो कांग्रेस का गढ़ है, यहाँ किसी और पार्टी की जीत असंभव है. लेकिन भाजपा सदस्य स्मृति ने इस असंभव को संभव कर दिखाया.

स्मृति ईरानी 2014 में भी अमेठी से राहुल गाँधी के खिलाफ खड़ी हुई थी, जहाँ उन्हें लाखों वोट से हार का सामना करना पड़ा था. स्मृति ईरानी की यह जीत बीजेपी पार्टी की भी बड़ी जीत है.

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