गंगोत्री धाम के बारे में रोचक तथ्य

यह समुद्र तल से 3750 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वतमाला में स्थित है।

गंगा नदी या गंगा का स्रोत जिसे ‘गौमुख’ कहा जाता है; गंगोत्री से मात्र 19 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।

अपने उद्गम स्थल पर गंगा नदी को ‘भागीरथी’ के नाम से जाना जाता है।

गंगोत्री से लगभग 50 कि.मी. पहले गंगनानी नामक एक स्थान है। यहाँ पर गर्म पानी का कुंड़ है तथा यह पानी कहां से आ रहा है इसके स्पष्ट साक्ष्य नहीं है; लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह भी गंगा का ही एक स्वरूप है।

Gangotri से पहले बाल शिव का एक प्राचीन मंदिर भी है; जिसे बाल कंडार मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह गंगोत्री धाम का प्रथम पूजा स्थल है।

गंगोत्री के आस पास पर्यटकों को अल्पाइन शंक्वाकार वृक्षों के वन, अल्पाइन झाड़ियां और घास के हरे-भरे मैदानों का लुत्फ़ उठाने को मिलता है।

यहाँ के आसपास के वनक्षेत्र को गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया जा चुका है; तथा इसका विस्तार भारत-चीन सीमा तक है।

पर्यटक ‘ज्ञानेश्वर मंदिर’ और ‘एकादश रुद्र मंदिर’ भी देख सकते हैं; बाद वाला मंदिर एकादश रूद्राभिषेकम पूजा के उत्सव के लिए प्रसिद्ध है।

यहाँ आये हुए श्रद्धालु मंदिर के पास में स्थित सुंदर गौरी कुंड और सूर्य कुंड का भी जमकर आनन्द ले सकते हैं।

इस शहर से एक छोटा सा रास्ता पाण्डव गुफा की ओर भी जाता है;। यह गुफा देश के सबसे बड़े महाकाव्य ‘महाभारत’ के पौराणिक योद्धाओं ’पांडवों‘ का आराधना स्थल माना जाता है।

सर्दियों के मौसम में आने वाले श्रद्धालु और तीर्थयात्री नार्डिक और अल्पाइन स्कीइंग का भी भरपूर मजा उठा सकते हैं।

गंगोत्री के पास में स्कीइंग के लिए आदर्श औली, मंडली, कुश कल्याण, केदार कंठ, टिहरी गढ़वाल, बेडनी बुग्याल और चिपलाकोट घाटी जैसे स्थान भी मौजूद हैं।

गंगोत्री के आसपास अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में ग्लेशियर गंगा, मनीरी, केदार ताल, नन्दनवन, तपोवन विश्वनाथ मंदिर, डीडी ताल, टिहरी, कुटेती देवी मंदिर, नचिकेता ताल तथा गंगनी आदि भी शामिल हैं।