छठ पूजा का महत्व: छठ पूजा बिहार में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे सूर्य देवता की पूजा का त्योहार माना जाता है।
पारंपरिक प्रथा: छठ पूजा बिहार की पारंपरिक प्रथा है और इसमें सदियों से व्रत और पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है।
व्रत का अवधारणा: छठ पूजा में व्रत रखना बहुत महत्वपूर्ण है और यह व्रत दो दिन तक चलता है।
जल प्रसाद: छठ पूजा में छठी माई के लिए जल प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसे पूजा के बाद परिवार के सदस्यों को खिलाया जाता है।
सुपर फ़ास्ट: छठ पूजा में व्रत करने वाले व्यक्ति को दो दिन तक निराहार व्रत रखना पड़ता है।
अधिकारिकता का पर्व: छठ पूजा एक पारिवारिक और सामाजिक अधिकारिता का पर्व है, जिसमें पूरे परिवार के सदस्य भाग लेते हैं।
सौंदर्यिक दृश्य: छठ पूजा के दौरान घाटों और किनारों पर बने दीपकों और फूलों से सजा घाट एक सौंदर्यपूर्ण दृश्य प्रदान करता है।
प्रकृति का संगम: छठ पूजा के दौरान आदिवासी और ग्रामीण समुदाय के लोग स्नान के लिए नदी और तालाबों के पास जाते हैं, जहां प्रकृति का और आत्मीयता का आनंद लेते हैं।
छठ पूजा के गीत: छठ पूजा के दौरान विशेष छठी माई के गीत गाए जाते हैं, जो छठ पूजा की महिमा को गाने वाले के आसपास फैला देते हैं।
अन्य राज्यों में छठ पूजा: छठ पूजा बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखंड, नेपाल और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में भी मनाई जाती है।
छठ पूजा के महत्वपूर्ण स्थान: छठ पूजा के दौरान बिहार के विभिन्न स्थानों में मनाए जाते हैं, जैसे कीड़ाडी झील, गंगा घाट और सोन पुर के मंदिर।
छठी माई की कथा: छठ पूजा में छठी माई की कथा बहुत महत्वपूर्ण होती है, जिसमें उनकी महिमा और उनके बालक और संतानों की कथा सुनाई जाती है।
छठ पूजा के पारंपरिक नगरी: पटना, मुंगेर, भागलपुर और दरभंगा जैसे छठ पूजा के पारंपरिक नगरी बिहार में स्थित हैं।
छठ पूजा की महिलाएं: छठ पूजा में महिलाएं अपनी परम संतान के लिए व्रत रखती हैं और सूर्य देवता की पूजा करती हैं।
छठ पूजा के आयुर्वेदिक लाभ: छठ पूजा के दौरान छठी माई के द्वारा उपयोग किए जाने वाले जल, सूर्य किरण और उपवास के आयुर्वेदिक लाभ होते हैं और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।