लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के पिताजी के निधन के बाद नाना-नानी के यहाँ रहने लगे और बचपन में विषम परिस्थिति में भी पैसे ना होने के कारण दिन में दो बार अपने सिर पर किताबें बांध कर गंगा तैरकर अपने स्कूल में शिक्षा लेने जाते थे |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का असली नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था | शास्त्री की उपाधि उन्हें काशी विद्यापीठ से स्नातक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद मिली जिसके बाद वह अपने नाम के आगे शास्त्री लगाने लगे |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपने विवाह के समय दहेज प्रथा के विरुद्ध जाकर मात्र खादी का कपड़ा और चरखा ही स्वीकार किया |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी बचपन से ही देश के लिए कुछ करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयुं में ही अपनी पढाई छोड़ दी और घरवालो के लाख समझाने के बावजूद राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के साथ अंग्रेजो के विरुद्ध आंदोलनों में हिस्सा लेने लगे और कई बार जेल भी गये |

लाल बहादुर शास्त्री जी असहयोग आंदोलन के लिए पहली बार जब जेल गए तो उनकी उम्र 17 साल थी। बालिग न होने की वजह से उनको छोड़ दिया गया।

हम सब जानते हैं ‘जय जवान जय किसान’ का नारा हमें श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने दिया पर क्या आप जानते हैं इस नारे के पीछे की क्या कहानी है। बात 1964 की है जब वह प्रधानमंत्री बने थे तब देश खाने की चीजें आयात करता था और उस वक्त देश PL-480 स्कीम के तहत नॉर्थ अमेरिका पर अनाज के लिए निर्भर था। 1965 में पाकिस्तान से जंग के दौरान देश में भयंकर सूखा पड़ा तब के हालात देखते हुए उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की और इन्हीं हालात से उन्होंने भारतवासियों को ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया।

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित लोक सेवक मंडल के भी आजीवन सदस्य रहे थे सर्वेंट्स ऑफ़ द पीपुल सोसाइटी  के रूप में भी जाना जाता था |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित लोक सेवक मंडल के भी आजीवन सदस्य रहे थे सर्वेंट्स ऑफ़ द पीपुल सोसाइटी  के रूप में भी जाना जाता था |

जब वह ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर बने तो सबसे पहले उन्होंने ही इस इंडस्ट्री में महिलाओं को बतौर कंडक्टर लाने की शुरुआत की।

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने ही देश की आजादी के बाद अपने कई मंत्रालयों में कार्यकाल के दौरान परिवहन में महिला कंडक्टर और महिला सीट का प्रावधान, भ्रष्टाचार निरोधक समिति का प्रावधान, रेलवे में थर्ड क्लास का प्रावधान जैसे कई प्रावधान बनाये थे |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपने प्रधानमन्त्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने हरित और श्वेत क्रांति को प्रोत्साहित और बढ़ावा देने का कार्य किया और गुजरात के आनंद में स्थित अमूल दूध सहकारी के साथ मिलकर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना की |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी बहुत सुलझे हुए और भावनात्मक व्यक्तित्व के मालिक थे। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए उन्होंने लाठीचार्ज की बजाय पानी की बौछार का सुझाव दिया जिसे बहुत पसंद किया गया।

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरांन ही वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय सेना के जवानों और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए जय जवान जय किसान का नारा दिया और उनका ये नारा आज भी बहुत प्रचलित है |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की सूझबूझ से ही पाकिस्तान भारत से वर्ष 1965 में युद्ध हार गया था जो कि सोचता था कि वर्ष 1962 में मिली चीन की हार से भारत कमजोर हो गया होगा |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने पाकिस्तान से युद्ध के बाद देश में हो रही अनाज की कमी और अमेरिका द्वारा भारत को अनाज ना देने की धमकी के बाद सभी देशवासियों से हफ्ते में 1 दिन का खाना 1 वक्त के लिए छोड़ने की अपील की थी |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हुई आकस्मिक मृत्यु आजतक एक रहस्य है जहाँ वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान के साथ ताशकंद शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने गये थे | जहाँ एक ओर उनकी मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताया गया वही उनके परिवार वाले उनकी जहर देकर हत्या करने की बात कहते है जो कि आज तक अनसुलझा है |

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी अपने जीवन में बहुत सरल, ईमानदार और साधारण व्यक्तित्व के व्यक्ति थे | वे फटे कपड़ों से बाद में रूमाल बनवाते थे औऱ फटे कुर्तों को कोट के नीचे पहनते थे। किसी भी प्रोग्राम में VVIP की तरह नहीं, बल्कि आम आदमी की तरह जाना पसंद करते थे और दोपहर के खाने में वो अक्सर सब्जी-रोटी खाते थे। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद भी कभी अपने लिए कार नहीं रखी थी |