इसके पश्चात मराठा सैनिक द्वारा इन दोनों मूर्तियों को अपने साथ नागपुर ले जाने की कोशिश की गई। एक बार मराठा सैनिकों ने मंदिर पर आक्रमण कर दिया आक्रमण मूर्तियों को ले जाने के लिए किया गया था। जिसके विपक्ष में वहां के दो बैगा ने मूर्ति को बचाना चाहा और एक बैगा ने महामाया माता की मूर्ति और दूसरे बैगा ने समलेश्वरी देवी की मूर्ति को कंधे में लेकर वहां से भाग गए।