1. इस मंदिर में माँ वैष्णों तीन पिंडियों के रूप में स्थापित है। तीन पिंडियों के रूप में होने के बावजूद इन्हें एक ही नाम से जाना ओर पूजा जाता है।
2 इस प्राचीन गुफा का बहुत महत्व है, क्योंकि इसमें पवित्र गंगा का जल प्रवाहित होता रहता है। जिस जल में से होकर हर व्यक्ति मां के दरबार में पहुंचता है। इसी वजह से इसका महत्व अधिक बढ जाता है।
3. इस गुफा को गर्भजून के नाम से भी जाना जाता है। इस गर्भजून गुफा में देवी दुर्गा 9 महीने तक उसी प्रकार रही थी जैसे एक शिशु माता के गर्भ में 9 महीने तक रहता है।
4. इस गुफा को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस गुफा से होकर माँ के दरबार में जाता है। उसे फिर गर्भ में नहीं जाना पडता है। अगर मनुष्य गर्भ में आता भी है, तो उसे गर्भ में कोई कष्ट नहीं होता है और उसका जीवन सुख-वैभव से भरा होता है।
5. वैष्णों देवी मंदिर सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहाँ पर भक्त अपनी मर्जी से नहीं जाता है, बल्कि माता रानी के बुलावे पर ही भक्त यहाँ आते है।
6. इस पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है। इस गुफा के अंदर जाने और बाहर आने के लिए दो रास्ते बनाएं गए है। साथ ही यहां पर एक बड़ा सा चबूतरा भी बना हुआ है। जिसे माँ वैष्णवी का आसन माना जाता है और जिस पर माँ विराजमान होती है।
7. ऐसा कहा जाता है कि इस गुफा में भैरव का शरीर मौजूद है। माँ वैष्णवी ने अपने त्रिशूल से भैरव का वध किया था और उसका सिर धड से अलग होकर भैरव घाटी में गिरा था।
8. वैष्णों देवी मंदिर समुद्र तल से 6218 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। साथ ही यह मंदिर कटरा से 13 किमी. दूर है।