1. सिद्धिविनायक को "नवसाचा गणपति" या "नवसला पवनारा गणपति" के रूप में भी जाना जाता है।
2. सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण ठेकेदार लक्ष्मण विथु पाटिल और देवबई पाटिल द्वारा सन् 1801 में किया गया था।
3. भगवान गणेश की मूर्ति के दोनों तरफ, देवी रिद्धि और सिद्धि की मूर्तियां होती हैं। भगवान गणेश के साथ इन दो देवियों के होने के कारण, इस मंदिर को सिद्धिविनायक मंदिर के रूप में जाना गया है।
4. मंदिर के अंदर दो विशाल चाँदी के चूहों की मूर्तियाँ हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि आप उनके कानों में अपनी इच्छा को बोलते हैं, तो वह इच्छा भगवान गणेश तक अवश्य पहुँचती हैं।
5. यह मंदिर हर किसी का खुले मन के साथ स्वागत करता है। फिर चाहे अलग धर्म के लोग हो या कोई अन्य, सभी यहाँ पर अपनी इच्छाओं को पूरा करने हेतु इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
6. आमतौर पर भक्त बाईं तरफ मुड़ी सूड़ वाली गणेश प्रतिमा की पूजा किया करते हैं। गणेशजी की जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है, वह सिद्धपीठ से जुड़ी होती हैं।
7. सिद्धविनायक गणेश मूर्ति काफी अद्वितीय और असामान्य है। यह एक काले पत्थर से बना था और बाएं के बजाए गणेशजी की सूड़ दाएं की ओर है।
8. सिद्धिविनायक मंदिर हर साल दान के रूप में लगभग 100 मिलियन से 150 मिलियन प्राप्त करता है और इसलिए मुंबई शहर का यह सबसे अमीर मंदिर है।