"ISRO: 15 छिपे हुए और आश्चर्यजनक तथ्य जो आपको हैरान कर देंगे"
आप जानते हैं कि ISRO ने पहली मिशन चंद्रयान-1 में मंगल यान को बिना चालक चरण के भेजा? इस मिशन के दौरान, जब मंगल यान से संपर्क खो गया था, तब भी ISRO ने मंगल के निकट चार ग्रही बनाए और अपने लक्ष्य को पूरा किया।
ISRO के मूल निदेशक, विक्रम साराभाई, भारतीय मूल के रहे हैं, जिन्होंने ISRO को निर्माण में बहुत मदद की।
चंद्रयान-2 मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह पर छोड़े गए ध्वज को देखकर आप जान सकते हैं कि यह भारतीय राष्ट्रीय ध्वज था, जो संकेतिक रूप में प्रयोग किया गया था।
ISRO ने उपग्रह निर्माण के लिए अपनी बहुत सारी तकनीकों का विकास किया है, जिसमें एक हटकर तकनीक है "वेहिकल असेंबली अन्य प्रक्रिया" जिसे इंजीनियर विजयसर्कार के नेतृत्व में विकसित किया गया।
ISRO ने मंगलयान मिशन के दौरान मंगल के सतह पर वाटर लाइफ खोजी थी। इससे पहले किसी भी मंगलयान को कोई भी प्रमाणित जीवन के संकेत मिले हैं।
भारतीय अंतरिक्ष यान "चंद्रयान-1" ने भी अपनी मिशन के दौरान अद्वितीय कारणों से सफलता हासिल की। यह था पहला चंद्रयान मिशन जिसने मंगल यान विज्ञान उपग्रह को भी चंद्रमा के निकट पहुंचाया।
आप जानते हैं कि ISRO की पहली उपग्रह मिशन थी "अरीभाट्टा"? यह मिशन 1975 में भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम था।
ISRO ने सफलतापूर्वक सौरमंडलीय उपग्रह प्रक्षेपण (PSLV) मिशन का आयोजन किया है, जो सफलतापूर्वक सौरमंडलीय यात्रा करने के लिए विकसित किया गया है।
आप जानते हैं कि भारतीय अंतरिक्ष यान "चंद्रयान-2" में उपयोग हुआ था एक खास तकनीकी उपकरण "विक्रम" जिससे चंद्रमा की सतह का मानचित्रण किया गया।
एक और रोचक तथ्य है कि ISRO के पहले चंद्रयान मिशन के दौरान मंगल यान के साथ एक मॉडल ट्रेन भी भेजा गया था, जो मंगल के रेलवे सिस्टम की संभावना की जांच करने के लिए था।
ISRO की चंद्रयान-2 मिशन में इंडिजनोस (बैक्टीरिया) को विशेष मूल्यांकन के लिए उपयोग किया गया था। इससे चंद्रयान-2 मिशन विज्ञानीय महत्व की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया।
ISRO के बारे में एक और रोचक तथ्य है कि इसकी स्थापना इंजीनियरी और वैज्ञानिक कीमती ज्ञान को संग्रहित करने के लिए नहीं की गई थी, बल्कि इसकी स्थापना उच्च गुणवत्ता वाले विज्ञान और अनुसंधान के आधार पर की गई थी।
ISRO के पास अपना खुद का GPS नेटवर्क है जिसे "गगन्यान" कहा जाता है। यह नेटवर्क सामरिक और सभारित अंतरिक्ष परिवहन के लिए उपयोगी है।
ISRO का उद्योगी उपग्रह "चंद्रयान-1" ने चंद्रमा की सतह पर अवस्थित एक रेडियो अनुशंसक पर ध्यान केंद्रित किया था, जिससे सौरमंडलीय स्थिरता का मानचित्रण किया जा सकता था।
आप जानते हैं कि ISRO के बजाय अन्य देशों की तुलना में भारतीय अंतरिक्ष यानों की कीमत बहुत कम होती है। इसके बजाय, ISRO ने सस्ते और अधिक प्रभावी तकनीक के लिए अपनी व्यावसायिक और अनुसंधान योजनाओं का उपयोग किया है।